सदका - ए - फितर की मिक़दार, सदका - ए - फितर की अहमियत Sadaqa Al-Fitr ki miqdar Sadaqa Al-Fitr ki ahemiyat सदका - ए - फितर का अर्थ इस्लामिक महीने रमजान के समाप्त होने से कुछ दिनों पहले दिया जाने वाला दान | सदका - ए - फितर की अहमियत सदका - ए - फितर की अहमियत इस क़दर ज्यादा हैं के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान हैं के ईद उल फ़ित्र से पहले पैदा होने वाले एक दिन के बच्चे का फ़ितराना अदा करना भी लाजिम हैं हज़रत अब्दुल्लाह इबने अब्बास "رضي الله عنهم" से रिवायत है की रसूलुल्लाह स ल्लाहु अलैहि वसल्लमने सदका - ए - फितर को जरुरी करार दिया जो रोजेदारों के लिए लगव (बकवास ) और बेहयाई की की बातों से पाकीज़गी का जरिया है और मिसकीनों (poor) के लिए खाने का इंतिज़ाम है ये हदीस से सदका - ए - फितर को अदा करने से दो फ़ायदे हासिल होंगें ...
RAMZAN 25/04/2020 को हिंदुस्तान मे रमजान सुरू होने वाला हे आईए जानते हे रमजान के बारे मे
Ramazan 2020 hindustan: अल्लाह की तरफ से रेहमत बरकत और माफ़ी दिलाने वाले महीने की शुरुआत होने वाली हे जिसे रमजान के मुबारक नाम से जाना जाता हे।
रमज़ान का महीना इस्लाम में बहोत ही पवित्र माना जाता है इस साल ये महीना अप्रेलकी 24तारीख को शाम(evening)से सुरु होने वाला हे इस्लाम मे तारीख(date) शाम को बदलती हे जिसे मगरिब का वक़्त बोला जाता हे और रोज़ा भी मगरिब के टाइम इफ्तार(खोला) जाता हे रोज़े की शुरुआत सुबह सूरज निकलने के बहोत पहले की जाती हे जिसे सहरी बोलते हे जो सुबह 5:00AM से पहले का हे इस रमजान में। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नोवा(9)महीना रमज़ान का होता है।
इस महीने में मुसलमान 30 या 29 दिन का उपवास रखते हे जो चाँद पर निर्भर होता हे।
रमज़ान अपने कठोर नियमो के लिए जाना जाता है जो असल में इंसान में सहन शीलता को बढाता है ओर समाज के प्रति दया की भावना को बढाता हैं।
इस्लाम के अनुसार पवित्र कुरआन रमज़ान के महीने में मोहम्मद साहब पर प्रकट हुई थी|
इस्लाम के अनुसार इस महीने में जन्नत के दरवाजों को खोल दिया जाता हैं और जहन्नम [hell] के दरवाजों को बंद कर दिया जाता हैं।
रमज़ान को तीन 3 अशरो मे बांटा जाता है।
- पहेला अशरा(1-10):जो रहमतका होता है जिस में अल्लाह की बंदो पर रहमत होती हैं और इन 10 दिनों में मुसलमानो को दान (जकात) देकर गरीबों की मदद करने का निर्देश दिया जाता हैं।
- दूसरा अशरा (11-20) :माफी का होता है इस्लामिक मान्यता के अनुसार रमज़ान के इन दिनों मे कोई इंसान अपने पापों की माफी मांगता है तो आम दिनों के तुलना में अल्लाह अपने बंदो को जल्दी माफ करता हे।
- तीसरा अशरा (21-30) :जहन्नमसे बचाने वाला होता है. इन दिनों को सब से कीमती माना जाता हे जिसमें हर मुसलमान जहन्नम से बचने की दुआ करता हैं और इन दिनों में एक खास क्रिया कीजाती हैं जिस को एहतकाफ कहते हैं जिस में मुस्लिम पुरुष मस्जिद के कोनो में और औरते घर के कोनो में बैठ कर अल्लाह का ध्यान और इबादत करते हैं और ईद का चाँद दिखने पर निकलते हैं।
रमज़ान में इन कार्यो पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं :
- अल्लाह को याद करना ।
- बुरी आदतों से दूर रहना ।
- महिलाओ के साथ अच्छा व्यवहार ।
- गरीबों की मदद करना ।
- कुरआन को पढ़ना
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